(नितेन्द्र झां)
#महोबा।जिला पंचायत द्वारा खनिज परिवहन शुल्क वसूली हेतु वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए जारी ई-नीलामी प्रक्रिया अब सवालों के घेरे में आ गई है। पहले 07 जुलाई 2025 से 31 मार्च 2026 तक की अवधि हेतु जारी ई-ऑक्शन को “पूरी पारदर्शिता और सफल प्रक्रिया” बताते हुए जिला पंचायत अध्यक्ष वअधिकारियों ने प्रेस वार्ता के माध्यम से इसकी सफलता का बखान किया था।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, 11 जून 2025 को भारत सरकार के ई-ऑक्शन पोर्टल पर यह निविदा प्रक्रिया शुरू की गई थी, जिसमें 7 आवेदकों ने भाग लिया। 4 आवेदकों के दस्तावेज तकनीकी रूप से पात्र पाए गए और 2 जुलाई 2025 को नीलामी प्रक्रिया भी सम्पन्न हुई। ई-नीलामी में 254357000 रुपये की उच्चतम बोली के साथ यह प्रक्रिया पूर्ण घोषित की गई और इसे सरकार के पोर्टल पर “पारदर्शिता से सम्पन्न” बताया गया।
लेकिन हैरानी की बात यह है कि इसके महज कुछ दिनों बाद ही 11 जुलाई 2025 को एक नया ई-नीलामी नोटिस जारी कर, उसी कार्य के लिए पुनः आवेदन आमंत्रित किए गए। नए टेंडर की प्रक्रिया अब 12 जुलाई से शुरू होकर 25 जुलाई 2025 तक चलेगी।
बड़ा सवाल यह उठता है—
जब पहली ई-नीलामी पूरी पारदर्शिता, वैधानिक प्रक्रिया और अधिकतम राजस्व (लगभग 12 करोड़) प्राप्त कर चुकी थी, तो रातोंरात उसे निरस्त क्यों किया गया?
क्या यह पुनः नीलामी कुछ विशेष पक्षों को लाभ पहुंचाने के लिए की गई?
क्या जनता और ईमानदार प्रतिभागियों के साथ विश्वासघात हुआ?
जनमानस में इस निर्णय को लेकर व्यापक चर्चा है। लोगों का मानना है कि जब एक बार सफल और पारदर्शी नीलामी हो चुकी थी, तो उसी कार्य के लिए पुनः निविदा आमंत्रण कहीं न कहीं मिलीभगत या राजनीतिक दबाव का संकेत देता है।
अब देखना होगा कि जिला प्रशासन इस निर्णय पर स्पष्ट कारण प्रस्तुत करता है या नहीं। वरना यह मुद्दा आगामी दिनों में बड़ा राजनीतिक और जनहित विवाद बन सकता है।
