उपनिबंधक सदर कार्यालय में चल रहे अवैधानिक गतिविधियों से अधिवक्ताओं में भारी आक्रोश
गोपनीयता भंग करने का गंभीर आरोप होने के बाद भी नहीं हुई कोई कार्रवाई?
(नितेन्द्र झां)
#महोबा सदर उपनिबंधक कार्यालय में कामकाज के तरीके को लेकर वरिष्ठ अधिवक्ता बचनेश कुमार कुशवाहा सहित बड़ी संख्या में अधिवक्ताओं द्वारा सहायक स्टांप आयुक्त को सौंपे गए ज्ञापन पत्र में बहुत ही संगीन और गंभीर बिंदु को उठाये थे आज संपूर्ण समाधान दिवस में भी ज्ञापन दिया गया।। सरकारी कर्मचारी होने के बाद भी बाहरी व्यक्ति कैसे अति महत्वपूर्ण सरकारी सीट पर बैठ कर अति महत्वपूर्ण कार्य करता है?
शिकायत के अनुसार, अधिवक्ता द्वारा नथूपुरा क्षेत्र से संबंधित एक बैनामा पंजीयन हेतु प्रस्तुत किया गया था, जो जांच के उपरांत पंजीयन के लिए आगे बढ़ा भी, लेकिन आश्चर्यजनक रूप से प्रक्रिया को एक निजी कंप्यूटर ऑपरेटर द्वारा रोक दिया गया।
चौंकाने वाली बात यह है कि कार्यालय में नियुक्त कंप्यूटर बाबू के रहते हुए, सरकारी कामकाज एक प्राइवेट व्यक्ति संतोष राठौड़ से वर्षों से कराया जा रहा है, जो कि न केवल नियमों के खिलाफ है, बल्कि यह सचिवीय गोपनीयता एवं पारदर्शिता पर सीधा प्रहार है।
अधिवक्ताऔ का आरोप है कि उक्त संतोष राठौड़ ने विपक्षी पक्ष को फोन पर जानकारी देकर बैनामा को जानबूझकर रोका, जबकि फोटो और अंगूठा निशान लिए जा चुके थे। इतना ही नहीं, न तो बैनामा का पंजीयन कराया गया और न ही दस्तावेज़ प्रार्थी को वापस किए गए।
अधिवक्ताओं ने मांग की है कि प्राइवेट व्यक्ति संतोष राठौड़ की तत्काल कार्यालय से हटाया जाए,कंप्यूटर का समस्त कार्य अधिकृत सरकारी बाबू से ही कराया जाए,प्रस्तुत बैनामा का पंजीकरण बिना देरी के किया जाए और दस्तावेज प्रार्थी को वापस दिए जाएं।यह मामला न केवल महोबा में सरकारी प्रक्रियाओं की शुचिता पर प्रश्नचिह्न लगाता है, बल्कि आमजन और अधिवक्ताओं के बीच बढ़ते प्रशासनिक अविश्वास को भी उजागर करता है।सहायक स्टांप आयुक्त ने भरोसा दिलाया था पर कोई कार्यवाही नहीं की जिससे आज संपूर्ण समाधान दिवस में इसकी शिकायत की अधिवक्ताओं को भरोसा है ठोस कार्रवाई अवश्य होगी।
