# बांध के पास पहाड़ो में होती है हैवी ब्लास्टिंग
महोबा / लगभग तेरह वर्षों के जद्दोजहद के बाद बनकर तैयार हुई अर्जुन सहायक परियोजना बांध उद्घाघाटन के एक साल पूरे करते ही दरकने लगा है, छुट पुट हुई बारिश व बांध के नजदीक पहाड़ो पर होने वाली ब्लास्टिंग से मेन वाल में बड़ी – बड़ी दरारें आने से तट बंध फटने की आशंका के चलते बारिश से पहले ही नहर खोल कर पानी खाली किया जाने लगा है |
बहुजन समाज पार्टी के शासन काल में जब परियोजना का काम शुरू हुआ तो मुआवजे के वितरण में मनमानी का आरोप लगाकर बांध के तट बंध पर ही डूब क्षेत्र के प्रभावित किसानों ने रामचरित मानस का पाठ शुरू करके आंदोलन की शुरुआत कर दी थी कई दिन तक चले इस विरोध प्रदर्शन में झिर सहेवा के एक किसान श्री विशाल पुत्र गुरुचरण ने आत्म दाह कर लिया तबसे यह योजना चर्चा में बनी रही है 2009 से तट बंध का कार्य चलता रहा और 2014 में कांग्रेस शासन काल का प्रस्तावित भू अर्जन अधिनियम पारित होने के बाद नई दरें लागू हुई तब जाकर किसानों केंद्र की भाजपा सरकार के कार्यकाल में भूमि का मुआवजा मिला ।
लंबे समय के बाद 2022 के विधान सभा चुनाव के ठीक पहले देश के प्रधानमंत्री मोदी जी ने योजना का उद्घाटन करके इस बांध के पानी से जनता को लाभ देने का वादा किया था हालाकि उस समय यह सवाल उठे थे कि परियोजना का कार्य पूरा किए बिना ही उद्घाटन किया गया है इसके बाद महोबा तहसील परिसर में डूब क्षेत्र के प्रभावित किसानों धरना प्रदर्शन करके आबादी क्षेत्र का मुआवजा देने की मांग उठाई थी और कहा था की जब तक डूब क्षेत्र के रहवासियों को विस्थापित किए बिना कैसे इस परियोजना को पूरा मान लिया गया है लेकिन उनकी यह आवाज नक्कार खाने में तूती की तरह साबित हुई।
स्थानीय समाजसेवी व सक्रिय लोगों के अनुसार तट बंध में पिचेंन बनाने का कार्य अभी भी अधूरा है तट बंध की मरम्मत का काम केवल कागजों में ही पूरा हो रहा है इसीलिए एक साल में ही बड़ी दरारें बन गई है बरसात में यदि इन दरारों से पानी जाता रहेगा तो यह और भी बड़ी हो जाएंगी यदि पानी का दबाव बढ़ा तो बांध फट भी सकता है। तो वही कुछ लोगों का मानना है की तट बंध से 500 मीटर की दूरी पर गंज गांव के चंदला पहाड़ में हैवी ब्लास्टिंग के कम्पन से दरारें आ रही है। हालांकि जिम्मेदार अधिकारी इस मामले में कुछ भी कहने से बच रहे है |