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…तो क्या हुआ नगर पालिका परिषद ने अपने प्रतिष्ठानों को कौड़ियों के भाव पर किराये पर उठाया

 

अधिशासी अधिकारी ने शासन की रोक के बावजूद नीतिगत निर्णय लिया?

कम्यूनिटी गार्डन और टाउन हॉल चल रहे हैं ठेके पर

टाउन हॉल बना गोदाम, कम्यूनिटी गार्डन गरीबों की पहुंच से दूर

 

#महोबा …तो क्या हुआ अगर साहब ने शासन की मंशा को ताक बलाय रख कर अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर नीतिगत निर्णय लेने की रोक के बावजूद ऐसे निर्णय लिए जिससे चहेतों का भला हो सके?
…तो क्या हुआ साहब ने नगर की जनता को मिलने वाली सहूलियत को पैसों की तराजू में तोल दिया?
…तो क्या हुआ नगर के गरीब परिवारों की बेटियों की शादी विवाह के लिए सस्ते दामों पर उपलब्ध हो सकने वाले टाउन हॉल को एक व्यापारी को सस्ते दामों पर लीज पर दे दिया और उसने उसका गोदाम बना डाला ऐसी चर्चाएं हो रही है।
…तो क्या हुआ उक्त मामले पर क्षेत्रीय सांसद अपना ऐतराज जता चुके हैं फिर भी कार्रवाई नहीं हुई?

गौरतलब हो कि नगर पालिका परिषद महोबा के अधिशासी अधिकारी अवधेश कुमार अपनी मनमानी पर उतारू है और उन पर लग रहे आरोपों की गंभीरता पर संवेदनशील होने के बजाय मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया? शिकायत पर आज तक कोई सवाल जवाब नहीं?
बताते चलें कि प्रशासक कार्यकाल के दौरान अधिशासी अधिकारी अवधेश कुमार के द्वारा महोबा नगर पालिका परिषद के कीमती प्रतिष्ठान कम्यूनिटी गार्डन को कौड़ियों के दाम पर अपने तथाकथित नजदीकी (चहेतों) को एलांट कर दिया।जिसकी चर्चाएं नगर में सुर्खियों पर थी। आरोप हैं कि वर्तमान समय में उनके तथाकथित चहेतों के द्वारा एक प्रोग्राम की बुकिंग में लाख रूपए से ज्यादा की रकम वसूली जा रही है। जिससे नगर पालिका परिषद को बड़े राजस्व का नुक़सान हो रहा है।
आरोप है कि जिस वक्त कम्यूनिटी गार्डन का टेण्डर किया गया उस समय अधिशासी अधिकारी महोबा को नीतिगत निर्णय लेने का अधिकार शासन द्वारा नही था। जिस पर शासन द्वारा रोक लगा दी गई थी।
इतना ही नहीं तहसील स्थित टाउन हॉल भी किराये पर दिया गया।
सूत्रों की यदि मानी जाये तो उक्त कम्यूनिटी गार्डन एवं टाउन हॉल का ५ वर्षों के लिए किया गया अनुबंध पंजीकृत भी नहीं है,जो कि नियम विरुद्ध है।
नगर पालिका परिषद में विभागीय तथाकथित कर्मचारियों व अधिकारियों की सांठगांठ के चलते बड़े पैमाने पर अनियमितताएं हो रही होगी ऐसी चर्चाएं हमेशा जांच एजेंसियों के लिए कारगर साबित होती है।

Nitendra Jha
Author: Nitendra Jha

Executive Editor

Nitendra Jha

Executive Editor

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