(नितेन्द्र झां)
#महोबा। किसानों की जानकारी व हित में भेजी गई कृषि प्रचार सामग्री किस हालत में पड़ी है, इसकी बानगी कृषि विभाग कार्यालय में साफ देखी जा सकती है। कार्यालय के अंदर और बाहर बोरियों में भरकर रखी गई कृषि पुस्तिकाएं, पंपलेट, योजनागत जानकारी वाली सामग्री बेतरतीब तरीके से पड़ी हुई है। न कोई सुरक्षा, न कोई वितरण की व्यवस्था।
सरकार द्वारा करोड़ों रुपये खर्च कर किसानों तक तकनीकी जानकारी, सरकारी योजनाएं और नई कृषि तकनीक पहुंचाने के उद्देश्य से छपवाई गई इन सामग्रियों को जिस तरह से बोरी में भरकर एक कोने में फेंका गया है, वह सरकारी तंत्र की लापरवाही को उजागर करता है।
दफ्तर के बाहर जहां लोहे की पेटी के ऊपर और नीचे प्रचार सामग्री बिखरी पड़ी है, वहीं अंदर भी स्थिति कुछ अलग नहीं है। फोटो में साफ देखा जा सकता है कि किताबें, पर्चे और योजनाएं धूल खा रही हैं, कुछ तो फटी हुई अवस्था में हैं।
प्रश्न यह उठता है कि –
क्या किसानों को सही जानकारी पहुंचाना सरकार की प्राथमिकता नहीं रही?
क्या इन प्रचार सामग्रियों का वितरण करने की कोई योजना या निगरानी तंत्र नहीं है?
कहीं यह सरकारी संसाधनों की बर्बादी और प्रचार सामग्री के नाम पर बजट खपाने का खेल तो नहीं?
जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों को चाहिए कि मामले की जांच कराएं और जिम्मेदारों पर कार्रवाई सुनिश्चित की जाए। साथ ही प्रचार सामग्री को तत्काल गांवों तक पहुंचाकर किसानों को इसका लाभ दिलाया जाए।
(फोटो: कृषि विभाग कार्यालय, महोबा)
(रिपोर्ट: नितेन्द्र झा)
