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कोतवाली अकबरपुर में दर्ज मु0अ0 संख्या 0235/2023 के विवेचक 12 जुलाई को केस डायरी सहित न्यायालय में उपस्थित हों – सीजेएम

(ब्यूरो चीफ)/अम्बेडकरनगर 6 जुलाई। जिला मुख्यालय के कस्बा शहजादपुर के जिले से लेकर शासन स्तर तक बहुचर्चित हो चुके प्रकरण श्री अवधेश कुमार मेहरोत्रा राज्य मुख्यालय के मान्यता प्राप्त पत्रकार तथा अम्बेडकरनगर व लखनऊ से प्रकाशित समाचार पत्र “कबतक चुप रहें” के सम्पादक की एन.जेड.ए. खतौनी की भूमि को रमेश प्रभा जेटली एवं भू माफियाओं के संगठित गिरोह द्वारा षड्यंत्र रचकर नगर पालिका,सब रजिस्ट्रार कार्यालय तथा पुलिस और प्रशासन के कुछ अधिकारियों को अनुचित लाभ प्रदान करके तैयार कराए गए कूट रचित दस्तावेज के आधार पर तथा फर्जी अभिलेखों के बल पर बैनामा करा लिए जाने के मामले में सीजेएम ने प्रकरण से सम्बंधित श्री मेहरोत्रा द्वारा दर्ज कराई गई एफ आई आर अपराध संख्या 0235/2023 के विवेचक को आगामी 12 जुलाई को न्यायालय में केस डायरी सहित उपस्थित होने हेतु निर्देशित किया है।
बताना आवश्यक है कि कोतवाली अकबरपुर में उपरवर्णित अपराध संख्या के अंतर्गत धारा 419,420,467,468,469 तथा 471 भा0द0वि0 की गम्भीरतम धाराओं के अंतर्गत उपरोक्त मुकदमा पंजीकृत किया गया है। एफ आई आर दर्ज होने तथा वादी मुकदमा द्वारा विवेचक,प्रभारी निरीक्षक,पुलिस अधीक्षक तथा आईजी जोन अयोध्या को अपना सशपथ विस्तृत लिखित बयान तथा 90 पन्ना (180 पेज) के अभिलेखिय साक्ष्य पूर्व में ही उपलब्ध कराए जा चुके हैं तथा स्वयं विवेचक द्वारा स्थलीय निरीक्षण करने पर प्रश्न गत भूमि पर कोई मकान नहीं बना है जबकि उपरोक्त गिरोह के सदस्यों द्वारा पूरी तरह जालसाजी करते हुए स्थल पर कोई मकान न होने के बावजूद वादी की भूमि पर बने शिव मंदिर की प्रविष्टि को खारिज कराकर और मंदिर के स्थान पर अपना फर्जी मकान नगर पालिका के स्वामित्वहीन अभिलेख परिवार रजिस्टर में कूट रचना के आधार पर दर्ज कराकर उक्त परिवार रजिस्टर के बल पर बैनामा कर दिया गया।
कोतवाली अकबरपुर के कुछ पुलिसकर्मियों की इन भू माफियाओं से इतनी गहरी सांठगांठ है की इन्हीं भूमाफियाओं के दबाव के कारण पहले तो वादी की एफ आई आर ही नहीं दर्ज की गई किंतु आईजी जोन अयोध्या द्वारा मामले में हस्तक्षेप के पश्चात एसपी अम्बेडकरनगर के आदेश से एफ आई आर तो दर्ज कर दी गई लेकिन भू माफियाओं से मित्रता निभाते हुए एफ आई आर में कई ऐसी गम्भीर धाराएं जो और लगाई जानी चाहिए थी वह नहीं लगाई गईं जिसका उल्लेख वादी द्वारा अपने सशपथ लिखित बयान में किया गया है।
आश्चर्यजनक किंतु कटु सत्य यह भी है कि एफ आई आर दर्ज करने के दिन से लगभग 100 दिन बीतने के पश्चात भी तथा यह स्पष्ट जानकारी होने के बावजूद कि इस प्रकरण में आईजी जोन महोदय के हस्तक्षेप तथा पुलिस अधीक्षक महोदय के आदेश से एफ आई आर दर्ज हुई है और एफ आई आर के तथ्यों के अनुसार आईपीसी की जो धाराएं इसमें लगी है और आगे लगनी है उसमें आजीवन कारावास तक की सजा का प्राविधान है के बावजूद भी कोतवाली अकबरपुर के मामले से सम्बंधित कुछ पुलिसकर्मी अपनी निर्लज्जता और निरंकुशता की सारी सीमाओं को पार करते जा रहे हैं।
पुलिस की उपरोक्त निंदनीय सोंच और संदिग्ध निष्ठा के उत्पन्न होने पर वादी मुकदमा द्वारा सीजेएम न्यायालय अम्बेडकरनगर में “मॉनिटरिंग” प्रार्थना पत्र देकर न्याय का निवेदन किए जाने पर सीजेएम प्रियंका सिंह ने पहली पेशी पर पुलिस से आख्या मांगी जिस पर विवेचक ने अपनी रिपोर्ट में इस प्रकरण के सम्बंध में मात्र इतना लिखा की जांच प्रचलित है,पुनः वादी द्वारा 4 जुलाई को वादी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता श्री दीनानाथ दुबे एडवोकेट तथा उनके जूनियर श्री विशाल कुमार मेहरोत्रा एडवोकेट द्वारा अपना पक्ष सीजेएम महोदया के समक्ष प्रस्तुत किया गया जिसे सुनकर सीजेएम महोदया ने उपरोक्त आदेश पारित किया है।

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Author: ikvnews

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